नई दिल्ली :- पुराने जमाने में शिक्षकों को सच में भगवान का दर्जा दिया जाता था. अपने शिक्षक के लिए हर विद्यार्थी कुछ भी कर गुजरने के लिए हमेशा तैयार रहता था. आप सबने सुना ही होगा कि एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य की मूर्ति से धनुर्विद्या सीखी थी तथा उनके एक बार मांगने पर ही अपने हाथ का अंगूठा दक्षिणा में दे दिया. बदलते वक़्त के साथ गुरु-शिष्य के बीच का वह रिश्ता भी कुछ बदल सा गया है.
रो-रो कर विद्यार्थियों का बुरा हाल
अब बच्चे अपने शिक्षकों के साथ ज्यादा भावनात्मक रूप से नहीं जुड़ते. लेकिन हाल ही में एक मामला सामने आया है जहां बिहार के जमुई में एक सर ऐसे हैं जिन से दूर होने पर उनके छात्रों का रो रो कर बुरा हाल हो गया है. यह सभी बच्चे अपने शिक्षक से बेहद प्यार करते हैं. अधिकतर स्कूलों में आपने देखा होगा कि बच्चों को एसी, कूलर, वाटर और फर्स्ट एड इत्यादि सुविधाएं प्रदान की जाती है, वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे स्कूल भी है जहां पर मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है.
खुशी मनाने के बजाय दुखी है विद्यार्थी
बिहार के जमुई जिले में स्थित सिकंदरा प्रखंड के मंजोष पंचायत के उत्क्रमित मध्य विद्यालय मेंशायद संसाधन पूरे नहीं है परंतु वहां एक अलग अंदाज में पढ़ाया जाता है. वहां के शिक्षक रंजीत कुमार का टीचिंग स्टाइल और बच्चों के साथ उनकी बॉन्डिंग बहुत चर्चित है. उत्क्रमित मध्य विद्यालय में 7 वीं क्लास के छात्र पास हो गए हैं. अब 8वीं की पढ़ाई के लिए उन्हें हाई स्कूल में दाखिला लेना है. लेकिन ये बच्चे पास होने की खुशी मनाने के स्थान पर दुखी हो गए हैं.
साफ दिख रहा है शिक्षक से दूर होने का गम
बच्चों की आंखों में स्कूल और अपने टीचर से दूर होने का दुख साफ झलक रहा है. फेयरवेल में बच्चे चीख-चीखकर रो रहे थे. वहीं, उनके शिक्षक यानी सर्वप्रिय रंजीत कुमार बच्चों को समझा बुझा कर शांत करने का प्रयास कर रहे थे. सिर्फ यही नहीं, शिक्षक ने भी बच्चों से प्रार्थना की कि यदि उन्होंने कभी भी अपने बच्चों को डांटा पीटा या मारा हो तो वह उसके लिए माफी दे दे. शहरों के बड़े स्कूलों में फेयरवेल पार्टी बेहद जबरदस्त होती है. वहां पर बच्चों को शिक्षकों से इतना लगाव नहीं होता बल्कि बच्चे आपस में ही इंजॉय करते हैं.
भेंट किये डायरी और पेन
लेकिन जमुई के स्कूल की फेयरवेल भी स्पेशल है. शिक्षक रंजीत कुमार ने बच्चों को भविष्य की सीख देते हुए विदाई दी. साथ ही वादा किया कि यदि उन्हें कभी भी पढ़ाई में कोई समस्या आती है तो वह बेझिझक उनके पास आए वह हमेशा अपने बच्चों की सहायता करेंगे. सभी बच्चों को एक पेन और डायरी भी दी गई. उन्होंने बच्चों से कहा कि वे इस डायरी में अच्छी बातें लिखें और उन पर अमल करने का प्रयास करें.
हमेशा पूरी होती है हाजिरी
रंजीत कुमार का टीचिंग स्टाइल सबसे अलग है. वह स्कूल के सामने मैदान में बच्चों को विभिन्न गतिविधियों के साथ अक्षर ज्ञान से लेकर किताबी बातें तक खेल के अंदाज में सिखाते हैं. बच्चे भी विषयों को मुश्किल या उबाऊ नहीं मानते व पूरे मन से पढ़ते हैं. इस स्कूल में बच्चों की हाज़िरी शत-प्रतिशत रहती है. बच्चे रंजीत सर का पढ़ाया पाठ हमेशा याद रखते हैं. रंजीत सारे अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए हमेशा गीत कविता या गेम का सहारा लेते हैं ताकि बच्चों को लंबे समय तक यह सब याद रहे.